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जावेद अख्तर ने संगीत की बदलती धारा पर उठाए सवाल, क्या खो रहा है भारतीय संगीत का जादू?

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जावेद अख्तर का संगीत पर विचार

नई दिल्ली, 27 जून। प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर ने हाल ही में एक निजी टेलीविजन चैनल के विशेष कार्यक्रम 'क्रिएटर्स मंच' में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने हिंदी सिनेमा और समकालीन संगीत पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने वर्तमान संगीत प्रवृत्तियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत में पश्चिमी संगीत की लोकप्रियता बढ़ रही है।


अख्तर ने बताया कि पश्चिमी देशों में संगीत का आनंद सुनने के लिए लिया जाता है, जबकि भारत में लोग खुद गाने का आनंद लेते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत गायकों का देश है, लेकिन आजकल पश्चिमी संगीत का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है।


उन्होंने लता मंगेशकर के एक पुराने उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले संगीत ऐसा होता था जिससे गायकों को आराम मिलता था, लेकिन अब संगीत खुद आराम की तलाश में है। यह टिप्पणी उन्होंने आजकल के अनावश्यक संगीत की ओर इशारा करते हुए की।


जावेद अख्तर ने चिंता व्यक्त की कि वर्तमान में जो संगीत बनाया जा रहा है, उसकी कोई आवश्यकता नहीं है, जिससे संगीत का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि दिल को छूने वाले संगीत की कमी होती जा रही है।


उन्होंने यह भी कहा कि आजकल के गायन रियलिटी शो में प्रतिभागी अक्सर 40 साल पुराने गाने गाते हैं, जबकि नए गानों की कमी है। यह बात इस ओर इशारा करती है कि वर्तमान संगीत में स्थायित्व की कमी है और लोग पुराने गानों से अधिक जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।


जावेद अख्तर, जो सलीम-जावेद की जोड़ी से मशहूर हुए, ने पांच बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और आठ बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं। वह 2010 से 2016 तक राज्यसभा के नामित सदस्य भी रहे हैं। उनकी कविताएं और गीत अक्सर गहरे सामाजिक मुद्दों को छूते हैं, जिससे वे भारतीय कला में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।


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